Tuesday, April 22, 2014

Prasoon Joshi

लक्ष्य ढूंढ़ते हैं
वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है 
इस पल की गरिमा
पर जिनका
थोड़ा भी अधिकार नहीं है
इस क्षण की गोलाई देखो
आसमान पर लुढ़क रही
है
नारंगी तरुणाई देखो
दूर क्षितिज पर बिखर
रही है
पक्ष ढूंढते हैं वे जिनको
जीवन ये स्वीकार नहीं हैं
लक्ष्य ढूंढ़ते हैं
वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है।
नाप नाप के पीने वालों
जीवन का अपमान न
करना
पल पल लेखा जोखा
वालों
गणित पे यूँ अभिमान न
करना
नपे तुले वे ही हैं जिनकी
बाहों में संसार नहीं है
लक्ष्य ढूंढ़ते हैं
वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
ज़िंदा डूबे डूबे रहते
मृत शरीर तैरा करते हैं
उथले उथले छप छप
करते
गोताखोर सुखी रहते हैं
स्वप्न वही जो नींद उडा
दे
वरना उसमे धार नहीं है
लक्ष्य ढूंढ़ते हैं
वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
कहाँ पहुँचने की जल्दी है
नृत्य भरो इस खालीपन
में
किसे दिखाना तुम ही
हो बस
गीत रचो इस घायल मन
में
पी लो बरस रहा है
अमृत
ये सावन लाचार नहीं है
लक्ष्य ढूंढ़ते हैं
वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
कहीं तुम्हारी चिंताओं
की
गठरी पूँजी ना बन जाए
कहीं तुम्हारे माथे का बल
शकल का हिस्सा न बन
जाए
जिस मन में उत्सव होता
है
वहाँ कभी भी हार नहीं है
लक्ष्य ढूंढ़ते हैं
वे जिनको
वर्तमान से प्यार नहीं है
~ Prasoon Joshi